गुरु पूर्णिमा यह दिन ज्ञान, श्रद्धा और आत्मिक प्रकाश का पर्व?

गुरु पूर्णिमा  यह दिन ज्ञान, श्रद्धा और आत्मिक प्रकाश का पर्व?

“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

भारतवर्ष की आध्यात्मिक परंपरा में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। गुरु न केवल शिक्षक होते हैं, बल्कि वह सेतु होते हैं — जो शिष्य को अंधकार से निकालकर ज्ञान, विवेक और आत्म-प्रकाश की ओर ले जाते हैं। ऐसी ही गुरु-शक्ति को समर्पित है गुरु पूर्णिमा — एक ऐसा पर्व जो भारतीय संस्कृति की सबसे दिव्य और ज्ञानपूर्ण परंपरा का प्रतीक है।

गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय

  • तिथि: 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई 2025, 01:38 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई 2025,  02 07: बजे तक

पूजा मुहूर्त: प्रातः 05:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (स्थानीय समयानुसार)

 गुरु पूर्णिमा का इतिहास और उत्पत्ति

1. महर्षि वेदव्यास जयंती

गुरु पूर्णिमा को "व्यास पूर्णिमा" भी कहा जाता है। यह दिन महर्षि वेदव्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने:

चारों वेदों का संकलन किया (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद)

महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की

18 पुराणों की रचना की   ब्रह्मसूत्र की व्याख्या की

उनकी विद्वत्ता और आध्यात्मिक ऊँचाई ने उन्हें ‘आदि गुरु’ का स्थान दिया।

2. गुरु-शिष्य परंपरा का उत्सव

भारत में गुरु-शिष्य परंपरा सिर्फ ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं है, यह एक आध्यात्मिक संबंध है जिसमें गुरु, शिष्य को केवल विषय नहीं, जीवन का अर्थ और आत्मसाक्षात्कार का मार्ग भी सिखाते हैं।

गुरु की भूमिका:

क्षेत्र    गुरु का योगदान  शैक्षणिक    ज्ञान का संचार  सामाजिक    चरित्र निर्माण

आध्यात्मिक    आत्मा की जागृति  व्यावहारिक    जीवन मार्गदर्शन

गुरु पूर्णिमा का महत्व: विभिन्न धर्मों में

हिन्दू धर्म में  वेदव्यास जी की जयंती के रूप में

गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर

बौद्ध धर्म में

इस दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में पंच भिक्षुओं को पहला उपदेश दिया था – जिसे धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस कहते हैं।

जैन धर्म में

भगवान महावीर ने अपने प्रथम शिष्य गौतम गणधर को इसी दिन दीक्षा दी थी

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?  पूजा विधि:

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें   गुरु चित्र या चरणों की पूजा करें   पुष्प, अक्षत, फल, वस्त्र, और दक्षिणा अर्पित करें

Youtube Video

गुरु मंत्र या श्लोकों का जाप करें   गुरु को नमन कर आशीर्वाद लें

 गुरु मंत्र:

 “ॐ गुरवे नमः” – 108 बार

 “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।

    गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

गुरु पूर्णिमा और वेदव्यास जी की कथा

महर्षि वेदव्यास का जन्म बद्रीकाश्रम के पास यमुना और सरस्वती संगम में हुआ था। वे ऋषि पराशर और देवी सत्यवती के पुत्र थे। बचपन से ही वे तप, ध्यान और ज्ञान में लीन रहते थे। उन्होंने:

वेदों को चार भागों में विभाजित कर ज्ञान को संरचित किया  महाभारत में कुरु वंश की महागाथा को जीवंत किया

श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित भागवत पुराण की रचना की   उनके योगदान को याद करते हुए, इस दिन को 'व्यास पूर्णिमा' कहा जाता है।

गुरु की कृपा का महत्व: अध्यात्म और साधना में

1. गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है

गुरु वह दीपक है जो अज्ञान के अंधकार को हटाकर शिष्य को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

2. साधना में गुरु की भूमिका

साधक की साधना तब ही सफल होती है जब गुरु मार्गदर्शन कर रहा हो। बिना गुरु के साधना दिशाहीन हो सकती है।

3. गुरु के चरणों में श्रद्धा

गुरु दक्षिणा सिर्फ भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि हमारी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।

🕯️ गुरु पूर्णिमा पर करें ये विशेष उपाय

1: गुरु मंत्र का जाप करें

📿 मंत्र:  “ॐ गुरवे नमः” – 108 बार  यह मंत्र गुरु के प्रति समर्पण की भावना को जाग्रत करता है।

2: गुरु की जीवनी पढ़ें

गुरु या वेदव्यास जी की कथा पढ़ना मन को स्थिरता और प्रेरणा देता है।

3: ब्राह्मण या शिक्षक को दान दें

अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान शुभ फल देता है

विद्यार्थी विशेष लाभ प्राप्त करते हैं

4: ध्यान और मौन साधना करें

गुरु पूर्णिमा पर मौन ध्यान करना विशेष फलदायी होता है। यह आत्मनिरीक्षण और आत्मसाक्षात्कार का मार्ग प्रशस्त करता है।

 विशेष श्लोक और स्तुति गुरु के लिए गुरु स्तुति श्लोक:

“अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥”

“छायाम् अन्यस्य कुर्वन्ति स्वयम् तिष्ठन्ति तीव्रतपाः।

गुरवः सन्तः स्वप्नेऽपि न परं स्वार्थं चिन्तयन्ति ये॥”

📚 आधुनिक जीवन में गुरु का स्थान

गुरु = कोच, मेंटर, काउंसलर  आज के युग में गुरु सिर्फ एक धार्मिक व्यक्ति नहीं, बल्कि:

कैरियर में मार्गदर्शन देने वाला मेंटर  जीवन का अनुभव बाँटने वाला बड़ा भाई

आपके मानसिक स्वास्थ्य का काउंसलर भी हो सकता है

गुरु कोई भी हो सकता है – जो आपको अपने वास्तविक स्वरूप से परिचित करवाए।

स्कूलों, आश्रमों, मठों और संस्थानों में उत्सव

शिष्य अपने गुरुओं को पुष्पांजलि और तिलक अर्पित करते हैं

विभिन्न भजन, कीर्तन, व्याख्यान और प्रवचन होते हैं

कई जगह गुरु-पूजन, चरण धोने और गुरु अर्चना की परंपरा है


“गुरु ही सच्चे देव हैं।”    – कबीर

“एक शब्द भी जो सिखाए, वह भी गुरु है।”    – चाणक्य

“गुरु के बिना आत्मज्ञान संभव नहीं।”    – श्रीरामकृष्ण परमहंस

 गुरु पूर्णिमा – आत्मिक उत्थान का अवसर

गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, समर्पण और ज्ञान के प्रति आदर का दिन है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम कितने भी योग्य क्यों न हों, गुरु का मार्गदर्शन और आशीर्वाद जीवन को प्रकाशमय बनाता है।


“गुरु की शरण में जाने वाला कभी भटकता नहीं।

अज्ञान के अंधकार में गुरु ही वह दीप है

जो आत्मा को परमात्मा से मिलाता है।”